भगवान अयप्पा ने दिया मकरज्योति के रूप में भक्तों को दर्शन, लाखों लोगों की उमड़ी भीड़
Makara Jyothi: सबरीमाला प्रसिद्ध मंदिर सबरीमाला में संक्रांति उत्सव के अवसर पर भगवान अय्यप्पा ने मकर ज्योति के रूप में भक्तों को दर्शन दिया है। लाखों अय्यप्पा भक्त मकरज्योति के दर्शन के लिए उम्र पड़े हैं। मकरसंक्रांति के शुभ अवसर पर इस तरह भक्तों का भगवान अयप्पा के दर्शन करना एक बेहद ही सुखद अनुभव है। मकर विलक्कू एक ऐसा त्यौहार है जो आस्था, भक्ति और समुदाय का प्रतीक है। इस त्योहार से जुड़ी रस्में, कहानी और रीति रिवाज हर साल भाग लेने वाले लाखों लोगों के लिए गहरा आध्यात्मिक महत्व रखते हैं। यह भक्तों के लिए भगवान अय्यप्पा के प्रति अपनी अटूट भक्ति व्यक्त करने और स्वास्थ, समृद्धि और आध्यात्मिक विकास के लिए एक आशीर्वाद लेने का समय है।
क्या है मकरविलक्कु या मकरज्योति?
मकर विलक्कू या मकर ज्योति केरल के सबरीमाला मंदिर में आयोजित होने वाला एक वार्षिक त्यौहार है, जो पहाड़ी मंदिर में पूजे जाने वाले देवता अय्यप्पा को समर्पित है। यह त्यौहार मकर संक्रांति के साथ मेल खाता है और इस साल मकर विलक्कु को 14 जनवरी को मनाया जा रहा है। यह केरल के सबसे महत्वपूर्ण व्यापक रूप से मनाया जाने वाला त्यौहार है जो लाखों भक्तों को आकर्षित करता है। यह त्यौहार उन लोगों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जो कठोर 41 दिवसीय तीर्थ यात्रा करते हैं, जहां भक्त ब्रह्मचर्य, उपवास और मादक पदार्थों से परहेज सहित सख्त धार्मिक अनुशासन का पालन है। भक्त अपनी प्रार्थना करने और स्वास्थ्य धन और आध्यात्मिक विकास के लिए भक्त अय्यप्पा से आशीर्वाद लेने के लिए सबरीमाला मंदिर जाते हैं।
मकर ज्योति से जुड़े तथ्य
मकर विलक्कू या मकर ज्योति के दौरान सबरीमाला की तीर्थ यात्रा दुनिया की सबसे बड़ी वार्षिक तीर्थ यात्रा में से एक मानी जाती है। भगवान अय्यप्पा के पुरुष भक्त जिन्हें अय्यपन कहा जाता है अक्सर अपनी विशिष्ट पोशाक से पहचाने जाते हैं, काला या भगवा वस्त्र, रुद्राक्ष की माला और कमर के चारों ओर बंधी चांदी या पीतल की घंटी। यह भक्त तीर्थ यात्रा के दौरान सख्त अनुष्ठानों और आचार संहिता का पालन करने के लिए भी जाने जाते हैं। सबरीमाला मंदिर इस मायने में अनूठा है, कि इसमें सभी जातियों और धर्म के भक्तों को प्रवेश की अनुमति है। तीर्थ यात्रा सभी वर्गों के लिए खुली है और मंदिर की समावेशी प्रकृति ने इस एकता और समानता का प्रतीक बना दिया है। मकर विलक्कू के दिन दिखाई देने वाली दिव्या ज्योति मकर ज्योति का प्रकट होना काफी बहस का विषय रहा है, जबकि कई लोग इसे भगवान अय्यप्पा से जुड़ी एक लौकिक घटना मानते हैं। ऐसे वैज्ञानिक सिद्धांत भी हैं जो बताते हैं कि प्रकाश कुछ प्राकृतिक घटनाओं का परिणाम हो सकता है, जैसे दूर की पहाड़ियों से आग का परावर्तन होना।